माननीया श्रीमती सोनिया गांधी, अध्यक्ष, भारतीय नेशनल कांग्रेस
5 नवंबर , 2014
मैडम,
मैं बेहद भारी मन से आपको लिख रही हूं। पिछले 11 महीनों में मैंने बहुत अधिक मानसिक यंत्रणा झेली है। इसके अलावा मीडिया में भी मुझ पर गलत आरोप लगते रहे। मुझे मीडिया में अपमानित किया गया और मुझे सार्वजनिक जीवन में भी बहुत निरादर का सामना करना पड़ा। मैंने अपनी पार्टी को अपने विश्वास, जिम्मेदारी और समर्पण के 30 साल दिए। मेरे परिवार में मैं चौथी पीढ़ी हूं जो कांग्रेस के लिए काम कर रही है लेकिन पार्टी ने मेरा भविष्य बरबाद कर दिया।
मैं 1984 से पार्टी के लिए काम कर रही हूं लेकिन मैं जानना चाहती हूं कि मैंने क्या गलत किया जिसके लिए मुझे अपराधी बनाया गया। 20 दिसंबर 2013 को मुझे मंत्री परिषद से इस्तीफा देने को क्यों कहा गया? इस बारे में मुझे कोई सफाई पेश करने का मौका मिला। मुझे बस मनमोहन सिंह की एक चिठ्ठी मिली थी, जिसमें मुझसे त्यागपत्र स्वीकार करने की बात कई गई थी। जबकि इसी चिठ्ठी में मनमोहन ने मेरे काम की तारीफ की थी।
इन परिस्थितियों में यह साफ था कि मुझे निकाले जाने में सरकार के लिए मेरे किए गए काम या प्रधानमंत्री की कोई भूमिका नहीं थी। मैं आज भी इस असमंजस में हूं कि मेरे साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया गया। मुझे आज भी वह दिन याद है जब मुझे प्रधानमंत्री ऑफिस में अचानक बुलाया गया और इस्तीफा देने के लिए कहा गया। मुझसे कहा गया कि 'पार्टी अध्यक्ष चाहती हैं कि आप पार्टी के लिए काम करें।'
इसके बाद अगले दिन मीडिया में मेरे इस्तीफे की खबरें थीं लेकिन मैं हैरान उस समय रह गई जब राहुल गांधी ने प्रेस क्रॉन्फ्रेंस बुला कर कहा कि इस्तीफे की वजह पार्टी का काम नहीं है।
मैंने कभी कोई गलत काम नहीं किया। मैंने कभी कोई प्रोजेक्ट डिले नहीं किया। मैं यह दोनों बात कभी भी साबित कर सकती हूं। मैंने इस्तीफे से जुड़ी राहुत गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेसं के बारे में बात करना चाही तो उन्होंने व्यस्तता की बात कही।
मैं दिनों तक उनके जवाब का इंतजार करती रही लेकिन वह दिन कभी नहीं आया मुझे एक भी मिनट का वक्त नहीं मिला। उन दिनों मेरी स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि मैं महौल बदलने के लिए अपनी रिश्तेदार के घर चली गई।
वापस आने के बाद मेरी आपसे मुलाकात हुई। आपने कहा कि चुनाव सामने हैं और पार्टी के काम के लिए मेरी जरूरत है। जब मैंने मीडिया में चल रही बातों के बारे में बात करना चाही तो आपने मीडिया से बात करने को मना किया। इतने महीनों तक मैंने मीडिया से कोई बात नहीं की लेकिन नाम ही मुझे पार्टी से जुड़ा कोई काम दिया गया ना ही कोई दूसरी जिम्मेदारी दी गई।
अगला सदमा मुझे उस वक्त लगा जब मुझे अजय माकन का फोन आया और उन्होंने मुझे बताया कि मेरा नाम पार्टी प्रवक्ता की लिस्ट से हटाया जा चुका है। मैंने पार्टी प्रवक्ता के तौर पर दस कठिन साल बिताए। इन सालों में वो समय भी शामल है जिसमें मेरी मां ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही थीं और तीन साल की बीमारी के बाद उनकी मृत्यु भी हो गई थी।
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी को स्नूपगेट मामले में घेरने को लेकर प्रेस क्रॉन्फ्रेंस के लिए मना करने के बाद विवाद बनाया गया। जबकि इस मामले में मैंने अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रखा था, लेकिन इसके बावजूद मुझे यह कहा गया कि पार्टी में 'ऊपर के लेवल' से निर्देश आए हैं और यह कॉनफ्रेंस जरूरी है।