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हिंदू धर्म की तारीफ़ में दो शब्द, आप भी जरूर पढ़िए, फिर गर्व स‌े कहिए "मैं हिंदू हूं"


मुझे गर्व है कि मैं हिन्दू हूँ. पूरी दुनिया में कोई ऐसा धर्म नही होगा जैसा हमारा धर्म है. बिलकुल साइंटिफिक धर्म है हमारा. किसी सरकारी विभाग को चलाने के लिए बॉस, एडिशनल बॉस, पीए, क्लर्क, सहायक क्लर्क, चपरासी, गार्ड, स्वीपर आदि रखे जाते हैं, वैसे ही हमारे हिन्दू धर्म में इतना वैज्ञानिक विभाजन है कि पाखाना उठाने वाले से लेकर चमड़ा छीलने वाला, दूध दुहने वाला, सब्जी उगाने वाला, अन्न उपजाने वाला, लोहा-लकड़ी, गहना, कपड़ा बनाने वाला, कपड़ा धुलने वाला, बाल बनाने वाला, लड़ने वाला और भगवान से बात करने वाला तक मिलेगा.


काम की अधिकता को देखते हुए सात हजार से अधिक कामगार (जातियां) बनाये गए हैं हिन्दू धर्म में. पशुओं में भी ऐसा विभाजन नहीं होगा जैसा हमारे हिन्दू धर्म ने मनुष्यों में कर रखा है. क्या ऐसा धर्म दुनिया में कहीं है? क्यों न गर्व हो हमें अपने इस हिन्दू धर्म पर?

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दुनिया ने तरक्की की है तो संविधान बना है, राज-पाठ का विधान बना है, जबकि हजार वर्ष पूर्व ही हिन्दू धर्म ने विधान, संविधान बना दिया था. धर्म शास्त्र अलग, नीति शास्त्र अलग, दंड शास्त्र अलग. वेद, पुराण, स्मृति, रामायण, महाभारत और हिन्दू धर्म का संविधान आईपीसी, सीआरपीसी अलग जिसे 'मनु स्मृति' कहा गया, यहां कब के बन गए थे. जब दुनिया सभ्यता के बारे में जानने की कोशिश कर रही थी उस समय हिन्दू धर्म ने यह तय कर रखा था कि किसे पढ़ना है, किसे पढ़ाना है. किसे घोंघा सीप, लोहे का गहना पहनना है और किसे सोने, चांदी, हीरा, जवाहरात आदि. किसे नए कपड़े पहनने है और किसे दूसरों द्वारा दिए गए पुराने कपड़े, किसे छप्पन भोग खाना है और किसे जूठन, किसकी औरतें घर के अंदर पर्दे में रहेंगी और किसके घर की औरतें वक्ष ढंककर नही रहेंगी, किसे जमीन पर थूकना तक नही हैं, तालाब और कुएं से पानी भी नही पीना है और किसे ऐसा करने पर दंड देना है, किसे वेद-पुराण पढ़ना है और किसे इसे पढ़ने या देखने या छूने या सुनने पर मौत के घाट उतारना या शम्बूक, एकलब्य की तरह दण्डित करना है.

क्या ऐसा वैज्ञानिक धर्म दुनिया में कहीं है? क्या ऐसा इंतजाम किसी धर्म में हजार वर्ष पूर्व ही हुआ है? है न गर्व करने लायक हमारा हिन्दू धर्म? इसीलिए मुझे तो गर्व है अपने हिंदू धर्म पर.


अब आप ही बताइये कि दुनिया में ऐसा कौन सा धर्म है जिसमे मुहम्मद साहब, ईसा मसीह, गुरुनानक, बुद्ध, महाबीर को छोड़कर कोई और पैगम्बर या भगवान है? भगवान के मामले में कितने दरिद्र हैं ये मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, बौद्धिष्ट, जैनी भाई, इनके वहां एक अल्लाह, गॉड या भगवान है, या है ही नहीं. जबकि हमारे यहां हाथी, घोडा, कुत्ता, बन्दर, गिद्ध, कौवा से लेकर पेड़, पौधा, पत्थर, पहाड़ तक भगवान हैं. हिन्दू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी देवता हैं. भगवानो के मामले में पूरी दुनिया में इतना रिच धर्म कोई नही है.

हर काम के लिए मनुष्यों में जाति और देवताओं में भी हर काम के लिए अलग-अलग देवता, है क्या कहीं विद्या की देवी अलग, धन की अलग, वर्षा के देवता अलग, हवा के अलग, आग के अलग, प्रलय के अलग, निर्माण के अलग, विध्वंस के अलग, मतलब 33 करोड़ देवता हैं हमारे. अभी सन्तोषी माता, आशाराम बापू, सत्य साईं बाबा आदि का निर्माण जारी है, जो 33 करोड़ के बाद आएंगे. क्या पूरी दुनिया में ऐसा इंतजाम किसी धर्म में है? है न आविष्कारक और वैज्ञानिक धर्म हमारा? क्यों न गर्व करूँ मैं अपने इस धर्म पर?

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इन्वेंशन भी खूब किया है हमारे धर्म ने, खड़ाऊं पहनके उड़ना, पुष्पक विमान बनाना, अग्नि रेखा की खोज, आग, पानी, हवा आदि से युक्त बाण व एक से एक अस्त्र-शस्त्र किस धर्म में निर्मित हैं? दुनिया का अकेला धर्म है हिन्दू धर्म जहां एक से एक (गपाष्टिक) शोध और खोज हैं. आश्रम में गुरुकुल, गुरुकुल में शिक्षा, शोध, यह सब किस धर्म में है? (भले ही हमने सुई का भी आविष्कार न किया हो पर स्वप्नदर्शी तो हम हैं ही ) हम आखिर इस अद्भुत धर्म पर क्यों न गर्व करें? जिस धर्म में इतनी खूबियां हों आखिर उस पर क्यों गर्व नहीं होगा? इसीलिए हमे गर्व है अपने हिन्दू होने पर. [अगर आप भी लिखना चाहते हैं कोई ऐसी चिट्ठी, जिसे दूसरों तक पहुंचना चाहिए, तो हमें लिख भेजें- merekhatt@gmail.com. हमसे फेसबुकट्विटर और गूगलप्लस पर भी जुड़ें]

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