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जिंदगी से रूठकर जाने वाली बेटी को एक मां की चिट्ठी, तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि मां का क्या होगा?



मेरी लाडली पायल, 
क्या कहूँँ तुम्हें, क्यों किया तूने ऐसा? ऐसी क्या बात हुई जो तूने इतना बडा फैसला ले लिया। तेरे पापा के जाने के बाद तू मेरे जीने की इकलौती वजह थी। तुझे देख मैं अपने सारे दुख भूल जाती पर आज तूने भी मेरा साथ छोड़ दिया। तुम जानती हो आस पड़ोस के लोग कितनी बातें बना रहे हैं। कोई कहता है बायफ्रेंड ने धोखा दिया होगा तो कोई कहता है भूत-प्रेत का साया था। कोई मेरे संस्कारों पर ऊंगली उठा रहा है और कुछ तुम्हारी आजादी पर। पर मैं माँ हूँ तेरी जानती हूँ मेरी बेटी ऐसा कोई काम नहीं करती। तो फिर क्या हुआ? 


मैं लोगों के मुँह तो नही बंद कर सकती। पर क्या एकबार भी तेरे मन मे ये ख्याल नही आया की जो कदम तू उठा रही है लोग तेरी माँ के संस्कारों पर कितनी ऊंगली उठायेंगे? क्या एकबार भी नहीं सोचा तेरी माँ का क्या होगा? एकबार मुझसे बात कर लेती शायद मैं तेरी समस्या का हल ढूंढ़ पाती, शायद तेरी मुश्किलों का हल ढूंढ पाती। क्या कमी रह गई थी मेरे प्यार मे जो तू मुझे अकेला कर चली गई?

जब तू छोटी थी कभी माँ बन मुझे डांटती और फिर प्यार बरसाती और कभी कभी मेरी सास बन जाती। कौन मेरे बीमार होने पर अब सिर पर हाथ फेरेगा? एक कप चाय की प्याली से सारी थकान मिटा देगा। मैं जानती थी मेरे आंगन की ये चिड़िया एक दिन उड़ जायेगी, लेकिन ये नही जानती थी इस तरह उड़ जायेगी की कभी वापस ही नही आयेगी।


ऐसा लग रहा है जैसे तेरे साथ इस घर का हर कोना निर्जीव हो गया है। सब कुछ अपनी जगह वैसे का वैसे पड़ा है। तू ही बता अब किसे डांटू मैं थोड़ा रेस्पोंसिबल बन जाने के लिए? किसे डांटू अपना फैलाया हुआ सामान सही जगह पर रखने के लिए? किससे कहूँ थोड़ा रसोई का काम सीख ले पराये घर जाना है।

अब सोचती हूँ शायद मेरे ही प्यार मे कुछ कमी रही होगी, जो तुम बिन बताये इस तरह चली गई। मैं अपने आप को एक परफेक्ट माँ समझती थी, पर तुमने मुझे गलत साबित कर दिया। मैं फेल हो गई बेटा, मैं फेल हो गई। जो आंगन तेरी किलकारियों से महक उठता था, आज वहाँँ मुझे सिर्फ एक शोर सुनाई दे रहा है, माँ तुम मेरी कातिल हो।

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