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रोहित वेमुला को एक प्रशंसक का खुला खत, कैंपस के हज़ारों रोहित वेमुला धीरे धीरे जाग रहे हैं

 -फरीदी उल हसन तनवीर

डिअर रोहित वेमुला!

हर साल की तरह फिर से तुम्हें पत्र लिख रहा हूँ। उम्मीद है कि मृत्यु के बाद कहीं कोई जीवन नहीं होगा। क्योंकि विज्ञान ऐसा ही मानता और बताता है। तुम भी तो उसी तर्कसंगत विज्ञान में यकीन करते थे जो मृत शरीर को सूक्ष्म कार्बनिक, अकार्बनिक, जैविक और रासायनिक तत्वों में टूट कर वातावरण में मिल जाने की तर्कसंगत कहानी सुनाता है। तुम भी तो ऎसी ही विज्ञान कथाएं कहना चाहते थे।अतः मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरा ये पत्र तुम तक कभी नहीं पहुंचेगा। लेकिन फिर भी लिख रहा हूँ बस इस उम्मीद के साथ कि विभिन्न विश्विद्यालयों के और हज़ारो रोहित वेमुला, नजीब, पायल तड़वी, फातिमा लतीफ़ भी तो आखिर इसे ज़रूर पढ सकेंगे।

वैसे भी शरीर ही तो नष्ट होते हैं। विचार तो जीवित रहते हैं न। मैं आत्मा की बात नहीं करता। मैं सामाजिक योगदान की बात कर रहा हूँ। अगर तुम विज्ञान कथा लेखन कर पाए होते तो वो भी तो तुम्हारा वैचारिक योगदान ही होता, और नश्वर होता। लेकिन मित्र तुम तो अपनी उमर से बड़ा योगदान कर गए, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसा। जो एक तरफ भगत सिंह की बौद्धिक, सैद्धांतिक, वैचारिक योगदान की प्रकृति का है तो दूसरी ओर शारीरिक बलिदान में चंद्र शेखर के आत्म बलिदान जैसा था। 

तुम्हारे इस योगदान से देश के विभिन्न कैंपस के हज़ारों रोहित वेमुला धीरे धीरे जाग रहे हैं। सरकार तुम्हारी सांस्थानिक हत्या को छिपाने के लिए तुम्हें दलित और पिछड़ा बनाने के कुकर्म में लगी रही थी। वहीं तुम्हारी हत्या के प्रत्यक्ष दोषी VC अप्पा को सम्मानित भी करती रही थी। तुम्हारे ही तरह नजीब को भी कैंपस से ही गायब कर दिया गया है। शायद वो भी तुम्हारी तरह कभी अपनी शिक्षा पूरी करने कैंपस न लौट पाये।

मैं इस पत्र के द्वारा तुम्हें इस बात से तो आश्वस्त कर देना चाहता हूँ कि निर्लज्ज और निष्ठुर व्यवस्था के नंगे नाच के विरुद्ध रोहित वेमुलाओं और नजीबों का जो गठबंधन तुम्हारे बलिदान के कारण अस्तित्व में आ रहा है। वो जागरूकता, एकता और गठबंधन सत्ताओं के इस निष्ठुर  आसनों को उनके आसन से अपदस्थ कर के ही दम लेगा। इस जागरूकता के नमूने की एक धमक तुम भी विभिन्न कैम्पसों, सड़कों, बागों और पार्कों से आते हुए सुन रहे होगे। कम से कम राजधानी को घेरे किसानों के ट्रॉली धरने से तुम्हेंबये धमक सुनाई दे रही होगी!

मेरे इस पत्र को पढ़ने वाले अनेक रोहित वेमुला और नजीब मेरी इस उम्मीद का आश्वासन भी तुमको देंगे।साथियों क्या आश्वासन दोगे? 

तुम्हारे अनेक प्रशंसकों में से एक अदना सा प्रशंसक!

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