श्रीमान राहुल गांधी,
बिहार की हार से कुछ समझ आया? हो सकता है कि आपको लग रहा हो कि आप, आपकी पार्टी और आपके गठबंधन ने बहुत मेहनत की, नजदीक भी पहुंचे लेकिन असफल रहे। बस यहीं से आप, आपके परिवार और आपकी पार्टी की बेवकूफियों की लंबी लिस्ट तैयार होना शुरू हो जाती है। जरा गौर करिए और नीचे दी बातों को ध्यान से पढ़िए।
पार्टी की स्थापना से आज़ादी तक सब ठीक था। गड़बड़ उसके बाद से शुरू हुई। नेहरु, शास्त्री से लेकर मनमोहन सिंह तक किसी ने इस देश की जनता को समझने की कोशिश ही नहीं की। जनता को आज़ादी मिल चुकी थी। अब उसके दिल में विभाजन गूंज रहा था। जब नेहरु पटेल, आईआईटी, आईआईएम, ऐम्स ऐसे संस्थान बना रहे थे तब देश का हिन्दू समाज सिर्फ और सिर्फ मन्दिर चाहता था। जब सड़क, नाले, पुल बनवाए जा रहे थे तब इस देश की अधिसंख्य जनता मुल्लों को सेट करने का बहाना ढूंढ रही थी।
न न गलत न समझें। जितने लोगों को मैं जानता हूं उनमें से किसी का भी किसी मुस्लिम ने कुछ नहीं बिगाड़ा। इन्होंने सिर्फ अपने कानों पर भरोसा किया और संघ का झूठा साहित्य पढ़ा। वही अंग्रेजों के चमचे, गांधी के हत्यारे, 60 रू की पेंशन के लिए दुश्मन से माफी मांगने वाला संघ जिसको पटेल ने बैन किया था। आज वही संघ देश में अफीम बेच रहा है। धर्म की अफीम। और देशवासी उस अफीम का लुत्फ उठा रहे हैं। आप के पुल बांध किसी काम नहीं आ रहे।
कायदे से तो 2014 के पहले के सारे प्रधानमंत्रियों के घर कुर्की का नोटिस जाना चाहिए। देश का पैसा गलत जगह लगाने के लिए। हजारों करोड़ खर्च करके रेल, भेल, पुल, बांध, सड़कें, ऐम्स, एलआईसी सब बनाया। धर्म की अफीम का सौदागर 2014 में आया, सबको अफीम बांटी और सब बेच खाया। हिन्दू धर्म के लोग आनंदित है। नून रोटी खाएंगे, मोदी को जिताएंगे। आप फालतू में पसीना बहा रहे हो।
आप अपनी बेवकूफी देखिए। कोरोना, पर्यावरण, अर्थवयवस्था इत्यादि पर आप एक्सपर्ट से राय ले रहे हैं। क्यों? चाहिए किसे ? जाइए किसी धर्म के फर्जी ठेकेदार के चरणों में लोटिए दो साल, कुछ सीखिए। सीखिए कैसे हिन्दू मुस्लिम को लड़ाना है। कैसे एक राज्य को अलग थलग करके बेकार कर देना है। कैसे इंसान को इंसान के खून का प्यासा कर देना है। कैसे दंगे भड़काने है, अर्थव्यवस्था को चौपट करना है।
एक आपकी दादी इंदिरा को छोड़ दें तो 2014 के पहले किसी भी पक्ष के किसी भी प्रधानमंत्री को कमीनियत का क भी नहीं आता था। यही आपकी सबसे बड़ी कमजोरी थी, है और रहेगी। अपने आपको बदलिए नहीं तो कोई और काम धंधा ढूंढ लीजिए। आज के लिए इतना ज्ञान बहुत है।
एक अभागा भारतवासी
-राजीव श्रीवास्तव