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RSS के स्वयंसेवकों के नाम एक पूर्व स्वयंसेवक का खुला खत, कितना झूठ बोलोगे? याद रखो, नफरतों से परिवार, समाज और राष्ट्र तक टूट जाते हैं!

-विनोद कोचर

मुझे ताज्जुब नहीं हुआ जब आपको 'साझी विरासत'की बात, मेंढकों के टर्राने जैसी बात लगी। मुसलमानों के हर अच्छे काम को भी बुरा बतलाकर पूरी की पूरी मुस्लिम कौम के खिलाफ नफरत का जहर उगलने वाले,1925 में स्थापित जिस वैचारिक स्कूल के आप छात्र हैं, उस स्कूल के भूतपूर्व छात्र के नाते आपलोगों की फितरत से, किसी किताब को पढ़कर नहीं, अपने तजुर्बों की वजह से मैं अच्छी तरह से वाकिफ़ हूँ।

इतनी नफ़रत कि आजादी की लड़ाई में मुसलमानों की शहादत को भी कुबूल न करो, भारतीय कला व संस्कृति के परिष्कार में उनके ऐतिहासिक योगदान की तरफ से भी ऑंखें मूंद लो, और यहाँ तक झूठ बोलने पर उतारू हो जाओ कि 1947 में भारत के सपूतों ने न केवल अंग्रेजों, बल्कि मुस्लिम/मुग़ल को भी उखाड़ फेंका। 

ये इतिहास आपके स्कूल के द्वारा फैलाया जा रहा एक नफरत फैलाऊ इतिहास है जिसे फ़ैलाने के लिए झूठ पर झूठ बोलते रहने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा है आप लोगों के पास। 1947 में अंग्रेजों को खदेड़ने वाले सपूतों में आपके 'आरएसएस' नामधारी स्कूल के छात्रों का तो कभी कोई योगदान तक नहीं रहा, कुर्बानी की तो बात ही दूर है।

इसके विपरीत, जिस ब्रिटिश हुकूमत ने इस देश को लूट डाला,  यहाँ के कुशल बुनकरों के हाथों के अंगूठे तक, अपने कारखाने का माल बेचने के लिए काट डाला, शोषण,लूट,शस्यश्यामला भारत के किसानों द्वारा उपजाए गए अनाज से अपने सैनिकों व जनता का पेट भरने के लिए भारत के तीन करोड़ से भी जादा लोगों को भूख से तड़पाकर मार डाला, उनके खिलाफ कुछ बोलना तो दूर,भारत के नए हुक्मरान, अंग्रेजों द्वारा लूटे गए कोहिनूर हीरे को, लूट की बजाय सप्रेम भेंट की संज्ञा तक देने में नहीं शरमा रहे हैं। 

और अब जब ब्रिटिश सरकार टीपू सुलतान की तलवार सहित भारत से चुराई गई व ग्लॉसगो संग्रहालय में रखी हुई 11 भारतीय कलाकृतियों को वापस लौटा रहा है तो भारत में आपकी सरकार अपने ब्रिटेन स्थित दूतावास के जरिये ब्रिटिश सरकार से पूरी लूट का माल वापस मांगने की बजाय उसका शुक्रिया अदा कर रही है!

कितना झूठ बोलोगे? जो इतिहास घट चुका है, झूठ बोलकर क्या आप उसे अनघटा कर देंगे? याद रखें कि नफ़रतें जोड़क नहीं तोड़क होती हैं। नफरतों से परिवार, समाज और राष्ट्र तक टूट जाते हैं।

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