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महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और पार्वती के नाम एक भक्त का खत, आप दोनों प्रेम की अद्भुत मिसाल हैं

डियर, शिव शक्ति

आप दोनों प्रेम की अद्भुत मिसाल हैं। दो होते हुए भी एक, अर्थात इस ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली देवता भी अर्ध नारीश्वर हुए बिना पूर्ण नहीं हो सकता। इस समस्त ब्रह्मांड में आप पहले ऐसे देव हुए। जिसने शक्ति को अपने चरणों से उठा कर अपने बराबर के स्थान पर जगह दी। अति संभव है की नारी सम्मान का प्रथम अध्याय यहीं से प्रारंभ हुआ हो। शक्ति के चरणों में लेटकर आपने उनके रुद्र रूप से दुनिया को ना केवल बचाया अपितु आपने सबको यह सिखाया की परिस्थिति अनुरूप नारी के समक्ष समर्पण करने में भी पुरुष का कोई अपमान नहीं है। 

गंगा के विनाशकारी शक्तिवेग को आपने अपनी जटाओं में रोककर उन्हें शांत किया और बताया कि पुरुष किस तरह एक नारी के सामने अपनी शक्ति प्रयोग करे कि नारी के सम्मान को चोट भी ना लगे और नारी उसकी शक्ति का सम्मान भी करने लगे। आपने बताया कि क्रोध क्या होता है।आपने बताया की प्रेम का अर्थ है एक दूसरे के लिए इतना समर्पित हो जाना कि पुरुष अर्धनारीश्वर हो जाये। आपने बताया कि भोला होना कोई अपराध नहीं है। आपने बताया कि इस ब्राह्मण के सब से जहरीले सर्प को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है। 

आपने बताया कि आपके जीवन के अमृत को बचा कर रखने के लिए विषपान तो करना ही पड़ेगा। आपने बताया कि राक्षस परवर्ती का मनुष्य हो या देव परवर्ती का, सबसे कुछ ना कुछ सीखा जा सकता है। काम क्रोध दोनों का अपना अपना उचित  स्थान है। प्रेम में रहो तो सब त्याग दो और क्रोध में रहो तो सब नष्ट कर दो। करो आप कुछ भी लेकिन किसी भी परिस्थिति से आपको शांत करके आने वाली शक्ति ही होगी और किसी के वश में यह काम है ही नहीं

हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी बडिस.! 

लव यू बोथ

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