सादर प्रणाम ।
बहुत दिनों से लिखने को सोच रहा था, आज शांत मन से लिखने बैठ रहा हूं। लिखने के सबसे बड़े कारणों में से एक है, आत्मा का धीरे धीरे एक के बाद एक कई घटनाओं से फटते जाना है। माननीय प्रधानमंत्री जी, धीरे धीरे जनता जनार्दन द्वारा आपको प्रधानमंत्री चुने हुए साढ़े तीन वर्षों से भी ज्यादा समय बीत चला है। जल्द ही पांच वर्ष भी बीत ही जाएंगे। 2019 और 2024 में भी आप ही जीतें तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा, क्योंकि देश राजनीति के बेहद विषम दौरों में से एक दौर से गुजर रहा है, विपक्ष है ही नहीं, है भी तो नाम मात्र का ! जनता आप पर जितना विश्वास दिखा रही है, आपकी जगह कोई दूसरा होता तो जनता के प्रति कृतज्ञता और निर्क्षलता से भर जाता लेकिन आप जरा सोचिए कि क्या आप सच में जनता के प्रति ईमानदार हैं?
दिल पर हाथ रखकर सोचिए, साढ़े तीन वर्षों के दौरान आपने 2014 के चुनाव के दौरान जो जो वादे किए थे, अगर उनका मूल्यांकन किया जाए तो आप उन वादों पर किस स्तर तक खरे उतरेंगे? मेरा यह प्रश्न भी अपने आप में चौंकाने वाले नतीजों में से एक हो सकता है! इलाहाबाद का होने के नाते मैं अपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही शुरू करना चाहूंगा! प्रधानमंत्री जी, मुझे आज भी याद है परेड ग्राउंड में आपने कहा था, "भाइयों बहनों, मैं गंगा मईया की गोद में खड़े होकर सौगंध खा कर कहता हूं, इस आईएएस की फैक्ट्री और पूरब के आक्सफोर्ड को मैं जीतते ही इसकी गरिमा वापस दिलाऊंगा।" माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं इस विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं, इसलिए मैं इस बात को गारंटी के साथ कह रहा हूं कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय आज भी उसी स्थिति में हैं जैसे की साढ़े तीन साल पहले था।
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कहां गई आपकी सौगंध? शायद 2019 में फिर वही सौगंध खाएंगे! देश भर की रेलवे और रेल यात्रा की स्थिति के बारे में ज्यादा नहीं बस इतना ही कहूंगा कि आप एक बार औचक किसी भी ट्रेन के जनरल कोच में यात्रा कर लीजिए, आप को स्थिति खुद ही पता चल जाएगी! पहले बुलेट ट्रेन की आवश्यता है या वर्तमान रेलगाड़ियों की स्थिति सुधारने की, ये बात आप खुद ही समझ जाएंगे। याद है, आपने हर साल लाखों रोजगार देने की भी बात कही थी! प्रधानमंत्री जी, जरा बता दीजिए कि इन साढ़े तीन वर्षों में कितने युवाओं को रोजगार मिल पाया ! गंगा साफ हो चुकी हैं ?
हां, जनता का ध्यान इन मुद्दों से भटकाने के लिए ताजमहल किसने बनवाया ? और कब्रिस्तान व श्मशान और बिरयानी जैसे मुद्दों को एक एक करके बड़े ही सोची समझी नीति के तहत उछाला जा रहा है ताकि बस जनता किसी नये मुद्दे पर उलझ जाए!!! इस तरह की ढेरों ऐसी बातें हैं जिन्हें एक एक कर लिख पाना बहुत ही कठिन है! माननीय प्रधानमंत्री जी, देश ने आपको बेपनाह प्यार दिया है और देते भी आ रहा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों पर जनता ने विपक्ष की एक न सुनी, जनता ने आप पर विश्वास किया! एक के बाद एक आपको राज्यों में मुख्यमंत्री दिया और आज 19 राज्यों में आपकी या आपके गठबंधन की सरकार है!
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जनता ने आपको बहुत प्यार दिया सर, लेकिन आपने उस जनता को क्या दिया, हवा हवाई भाषण और संप्रदायिकता का भय !!! माननीय प्रधानमंत्री जी, विश्व में एक से बढ़कर एक नेता हुए, कुछ जनप्रिय हुए तो कुछ तानाशाह, कुछ थोड़े समय के लिए तो कुछ ने लम्बे समय के लिए राज किया लेकिन आज सभी उसी पंचतत्व में विलीन हो गये। आज किसी का नामोनिशान तक नहीं है! ज्यादा दूर मत जाइए, यहीं देख लीजिए अटल जी जैसे नेता आज कितने वर्षों से मरण शैय्या पर पड़े हैं, अडवाणी और जोशी जी की मनोदशा और आंतरिक पीड़ा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है! आप भी प्रकृति के जीवनचक्र से बंधे हैं कुछ ही वर्षों में आप भी इन्हीं की स्थिति से गुजरते हुए प्रकृति में विलीन हो जाएंगे! फिर आप ऐसी स्थितियों को क्यों पैदा कर रहे हैं जैसे आप अजर अमर हो कर आए हैं!
थोड़े समय की राजनीति मात्र में ही देश में ऐसा ज़हर क्यों घोला जा रहा है जो आने वाली निर्दोष पीढ़ी तक भुगतेगी ! देश में एक के बाद एक हो रही सांप्रदायिक घटनाएं जनता के अंदर के इंसान को भविष्य के प्रति बुरी तरह तरह डराए हुए हैं और लोकतंत्र की सुरक्षा के प्रति सशंकित करती हैं। अभी कुछ दिनों पहले जिस तरह से एक इंसान को किसी खुद को हिंदू बताने वाले व्यक्ति ने जिस तरह मारकर फिर जलाकर वीडियो बनाकर वायरल किया सच कहता हूं मन व्यथित हो उठा, आत्मा चीख पड़ी थी, खुद को हिंदू कहने में शर्म आने लगी!
कुछ दिनो बाद एक और वीडियो वायरल होता है जिसमें एक "टोपी लगाए हुए युवक" एक लंगूर को बुरी तरह बेरहमी से पीट पीट कर मारता है! माननीय प्रधानमंत्री जी, ये दो घटनाएं मात्र दुर्घटनाओं के तहत हुई या फिर यह देश में बड़े दंगों को कराने की सोची समझी साजिश रची जा रही है? सुनने में आ रहा है कि आजकल तेजी से ऐसे मैसेज़ेज और वीडियोज़ भी आ रहे हैं जिसमें गायों को काटा जा रहा है, तड़पाया जा रहा है या फिर कोई घायल सैनिक तड़प रहा है और कहा जाएगा "असली हिंदू हो तो शेयर करें" !
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सर, आज तो केंद्र से लेकर कई राज्यों में आपकी सरकार है न फिर क्यों नहीं गौ हत्या पर रोक लगवाते हैं?किसने रोका है आपको? जनता के बीच टट्टुओं और छुटभईयों द्वारा चंद राजनैतिक लाभ के लिए पूरे देश में जो बारूद भरा जा रहा है उसका देश और देश के विकाश पर जो दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव होगा उसका अंदाजा आपको और राजनैतिक महत्वाकांक्षा में जकड़े नेताओं को खुद ही होगा! विदेशी नीति के बारे में मैं पहले के पोस्ट्स में ही संक्षेप में लिख चुका हूं किस तरह से जब से आपकी सरकार आई है, हमारे रिश्ते अवसरवादी अमेरिका को छोड़कर अन्य देशों से बिगड़ते ही गये हैं! हालाकि हम किसी देशों की नाराजगी को मुद्दा नहीं बनाएंगे क्योंकि राजनैतिक संबंध बनते बिगड़ते रहते हैं, ये अस्थिर होते हैं।
माननीय प्रधानमंत्री जी, यह लेख मैं किसी द्वेश की भावना से अथवा आपके विरोध में बिल्कुल नहीं लिख रहा हूं। मैं यह लेख पूरे होश में और बिना किसी बायसनेस के तहत लिख रहा हूं। मेरी पूरी बातों को गलत सिद्ध करने के लिए कई लोग कमेंट जरूर करेंगे क्योंकि उसमें उनका हित छुपा हो सकता है। लेकिन मुझे सत्य लिखने में कोई भय नहीं है। मैं किसी राजनैतिक पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं हूं जो आपके विरोध में लिख रहा हूं। हां, आपको यह बताना चाहूंगा कि 2014 के आम चुनाव में मैने आपको वोट किया था और अपनी सामर्थ के अनुसार दूसरों से भी वोटिंग करवाए थे क्योंकि मुझे आपसे बड़ी आशाएं थी! लेकिन शायद अब वो आस टूट चुकी हैं !
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थोड़े समय की राजनीति मात्र में ही देश में ऐसा ज़हर क्यों घोला जा रहा है जो आने वाली निर्दोष पीढ़ी तक भुगतेगी ! देश में एक के बाद एक हो रही सांप्रदायिक घटनाएं जनता के अंदर के इंसान को भविष्य के प्रति बुरी तरह तरह डराए हुए हैं और लोकतंत्र की सुरक्षा के प्रति सशंकित करती हैं। अभी कुछ दिनों पहले जिस तरह से एक इंसान को किसी खुद को हिंदू बताने वाले व्यक्ति ने जिस तरह मारकर फिर जलाकर वीडियो बनाकर वायरल किया सच कहता हूं मन व्यथित हो उठा, आत्मा चीख पड़ी थी, खुद को हिंदू कहने में शर्म आने लगी!
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माननीय प्रधानमंत्री जी, यह लेख मैं किसी द्वेश की भावना से अथवा आपके विरोध में बिल्कुल नहीं लिख रहा हूं। मैं यह लेख पूरे होश में और बिना किसी बायसनेस के तहत लिख रहा हूं। मेरी पूरी बातों को गलत सिद्ध करने के लिए कई लोग कमेंट जरूर करेंगे क्योंकि उसमें उनका हित छुपा हो सकता है। लेकिन मुझे सत्य लिखने में कोई भय नहीं है। मैं किसी राजनैतिक पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं हूं जो आपके विरोध में लिख रहा हूं। हां, आपको यह बताना चाहूंगा कि 2014 के आम चुनाव में मैने आपको वोट किया था और अपनी सामर्थ के अनुसार दूसरों से भी वोटिंग करवाए थे क्योंकि मुझे आपसे बड़ी आशाएं थी! लेकिन शायद अब वो आस टूट चुकी हैं !
निराश मन से एक छात्र द्वारा लिखा गया ख़त।
अजय सिंह
छात्र, आईआईएमसी
25 - 12 - 2017
25 - 12 - 2017