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बिहार के शिक्षा मंत्री के नाम खुला ख़त, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शिक्षा नीति ने बिहार की शिक्षा को बर्बाद कर दिया है

आदरणीय शिक्षा मंत्री,

आप शिक्षक रहे हैं, इसलिए आपसे उम्मीद ज्यादा है। आपके सामने दो विकल्प हैं - एक- मुख्यमंत्री की शिक्षा नीति और दूसरे - पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान किये गये उप मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वादे। तीसरा विकल्प भी है, लेकिन उसे लागू करना आपके लिए संभव नहीं होगा। इसलिए इन दो विकल्पों पर ही आपको खुली चिट्ठी लिख रहा हूं।


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शिक्षा नीति ने बिहार की शिक्षा को बर्बाद कर दिया है। पता नहीं, उन्हें खबर थी या नहीं, लेकिन यह सच है कि उन्होंने लाखों लाख बच्चों के भविष्य के साथ खेला है। मैं तथ्यपरक रूप से बिन्दुवार बता रहा हूं -

1. क्या यह किसी राज्य में संभव है कि सरकार ही नकल करने की ट्रेनिंग दे? बिहार सरकार कर रही थी। पूरे बिहार के + स्कूलों और कालेजों की जांच परीक्षा के प्रश्न पत्र शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष खुद छपवाते हैं और निर्देश देते हैं कि जब परीक्षा लेना है, लो।पूरे बिहार के बच्चों के लिए प्रश्न पत्र एक हैं, लेकिन परीक्षा की तिथि एक नहीं है। नतीजा है कि आउट प्रश्न पत्र ही बच्चे परीक्षा देते हैं। मुझे कभी समझ में नहीं आया कि कोई लोकतांत्रिक सरकार ऐसा कैसे कर सकती है? यह बात छुपी हुई नहीं है। शिक्षा से जुड़े हुए तमाम लोग जानते हैं। जबसे मुझे मालूम हुआ है। मैं इसके खिलाफ बोलता और लिखता रहा हूं, लेकिन कोई अंतर नहीं आया। अगर मुख्यमंत्री की शिक्षा नीति पर ही चलते रहना है तो इसे चलायें। वरना इसे तत्काल बंद करें और जांच बिठायें कि किसके आदेश से ऐसा हुआ और उस पर कार्रवाई करें।

2. +2 कक्षाओं में आनलाइन नामांकन ने स्कूलों को चौपट कर दिया है। स्कूल के आसपास के बच्चों का नामांकन दूरदराज के स्कूलों में हो रहा है और दूरदराज के बच्चों का कहीं और। नतीजा है कि +2 कक्षाएं खाली हैं। दूसरी बात है कि ज़्यादातर स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। कहीं कहीं तो शून्य है। क्या यह शिक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं है? आनलाइन नामांकन बंद करें और पर्याप्त शिक्षक नियुक्त करें।

3. ज्यादातर स्कूलों में प्रयोगशालाएं,खेल और पुस्तकालय सक्रिय नहीं है।सच पूछिए तो संसाधन ही नहीं है। प्रयोगशालाएं बंद है तो विज्ञान का विकास कैसे होगा? खेल की सुविधाएं नहीं हैं तो खेल की दुनिया में अपना नाम रौशन कैसे करेंगे और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कैसे होंगे और पुस्तकालय नहीं है तो ज्ञान का सोता तो सूख ही जायेगा। बच्चों को नंबरों बदल दिया गया है। उनके चतुर्दिक विकास नहीं हो रहा।

4. मुख्यमंत्री की शिक्षा नीति ने शिक्षा को नंबर गेम में बदल दिया है। शिक्षक पर दबाव बनाया गया कि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा नंबर दें।ग़लत हो तब भी नंबर दें। इस पर बच्चा अगर किसी पेपर में फेल होता है तो दूसरे पेपर का नंबर जोड़ कर पास किया जा रहा है। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि उत्तरपुस्तिकाओं पर नंबर कुछ रहता है और कम्प्यूटर के खेल से नंबर कुछ और आता है। इसमें कोई शक नहीं कि इसमें भारी घपला है।इसकी व्यापक जांच करायें और इसपर रोक लगायें।

5. आप कह रहे हैं कि दिल्ली के स्कूलों के अध्ययन के लिए एक टीम जायेगी। क्यों भेज रहे हैं टीम? वहां क्या शिक्षकों का नियोजन होता है या उनके विषय बार पद खत्म कर दिए गए? विधानसभा चुनाव में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने वादा किया था कि समान काम में समान वेतन दिया जायेगा। पुरानी पेंशन योजना बहाल होगी। नीतीश कुमार की सरकार ने स्कूलों के सारे पद खत्म किए। आप भी पर दायित्व है कि पुनः सभी स्कूलों को विषय बार शिक्षकों के पद सृजित और स्वीकृत किए जायें।

6. विश्वविद्यालयों की हालत तो और बुरी है।मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के घर पर निगरानी विभाग ने छापा मारा। आलमारी से झरझराते नोट निकले, लेकिन वह बर्खास्त नहीं हुआ। तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में नौ माह से कुलपति नहीं हैं। क्या विश्वविद्यालयों का संचालन इस तरह से होगा?

7. पैसा कमाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में ओएमआर सीट पर परीक्षा ली जा रही है। बच्चों के साथ यह घोर अन्याय है। वस्तुनिष्ठ प्रश्न परीक्षा के आधार बन रहे हैं। बच्चे शुद्ध शुद्ध लिखना नहीं जानते। उन्हें नंबर आ रहा है, लेकिन पढ़ाई निरर्थक हो रही है। ओएमआर सीट पर परीक्षा लेना बंद करें।

8. विश्वविद्यालयों में संबद्ध कालेज हैं। उनके शिक्षकों और कर्मचारियों की कम दुर्दशा नहीं है। उन्हें अंगीभूत कालेजों से कमतर माना जाता है।वे हर वक्त दबाव में रहते हैं। ऐसे कालेजों की जरूरत है तो उन्हें अंगीभूत बनाया जाय या उन्हें पद के अनुसार वेतनमान मिले।

वैसे तो सरकार नई है। लेकिन यह यक्ष प्रश्न है कि आप किस नीति पर चलेंगे? नीतीश कुमार की सरकार निजीकरण की नीति पर चल रही थी। अब आपकी परीक्षा है।

नई सरकार को शुभकामनाएं।

विश्वासभाजन

प्रो योगेन्द्र

विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग

तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार

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