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हरियाणवी सिंगर सपना के नाम खुला ख़त, तुम उन लोगों से कहीं बेहतर हो, जो दोहरी जिंदगी जीते हैं

- ज़ीनत सिद्दीक़ी 

एक दिन इंटरनेट पर कुछ लेख पढ़ते-पढ़ते सपना से जुड़ा एक लेख मिला, जिसमें उस समाज के मुंह पर तमाचा था, जो कहता है कि सपना हरियाणा के युवाओं को बिगाड़ रही है, सपना अश्लील नृत्य करती है. उसने जातिगत रागिणी गाई, जिससे कुछ लोगों की भावनाओं को चोट पहुंची. उसी के विरोध में सपना के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया गया. मैं सपना के बारे में नहीं जानती थी. मैंने उसके गानों को यूट्यूब पर देखा. हरियाणवी ज्यादा समझ नहीं आती, लेकिन कुछ मिनटों में सपना का जो भी गाना या डांस देखा, उससे यही समझ पाई कि सपना एक बहुत ही सुंदर, मेहनती और दबंग लड़की है. यकीनन इतने लोगों के सामने बिंदास होकर अपनी धुन में नाचने के लिए हिम्मत चाहिए.

जाने था कौन शख़्स जो सच बात कह गया, पीछे है सारा शहर अब पत्थर लिए हुए...यह वही हरियाणा है जहां कल तक लोग बेटियों को जन्म देने से कतराते थे. हालात आज भी ज्यादा अच्छे नहीं. लिंगानुपात में असमानता हो, छेड़छाड़ हो, बलात्कार हो, या फिर सामूहिक बलात्कार, सबमें हरियाणा अव्वल है. यूं तो पूरे देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं, लेकिन छोटा सा हरियाणा बेटियों पर ज़ुल्म-ओ-सितम के मामले में बाकी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा टीआरपी हासिल करता है.

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खैर, बदकिस्मती से एक हफ्ता भी नहीं हुआ कि अचानक खबर आई कि सपना ने खुदकुशी की कोशिश की, क्योंकि उसे एक शख्स परेशान कर रहा था. सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाकर उसे कैरेक्टर सर्टिफिकेट बांटे जा रहे थे. गंदी-गंदी गालियां दी जा रही थीं. इस खबर ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया और परेशान किया. मुझे हैरानी इस बात से हुई कि सपना ने ऐसा क़दम क्यों उठाया? क्या वह इतनी कमज़ोर है? मैं किसी के पक्ष में नहीं हूं लेकिन हां एक लड़की होने के नाते सपना के जरिये समाज की हकीकत पर आज खुलकर अपना पक्ष रख रही हूं.

यह वही समाज है, जिसने हमेशा औरतों पर ज़ुल्म किए. पहले तो बच्चियों को पैदा ही नहीं होने दिया, अगर हो गईं तो फिर परवरिश में फर्क, क़ायदे क़ानूनों का बोझ, उठने-बैठने पर रोक टोक. खुलकर हंसने न देना, अपनी मर्ज़ी के मुताबिक कपड़े न पहनने देना, खान-पान में फर्क, अपनी बात कहने तक की इजाज़त न होना, सालों से यही होता आ रहा है. कुछ जगहों पर आज भी जारी है. इन सब कुरीतियों, बंदिशों से लड़कर अगर कोई लड़की आगे बढ़ती है तो फिर हमारे ही समाज में मौजूद कुछ मर्द अपनी नामर्दाना हरकतों से लड़कियों के चरित्र को लेकर सर्टिफिकेट बांटते हैं.

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मैं यहां पर कारपोरेट मूवी का जिक्र करुंगी, जब पार्टी में एक महिला बिपाशा बासु से मिलती है और अपना नाम बताने के बाद बताती है कि वो जानवरों की सुरक्षा के लिए काम करती है. इसी दौरान वेटर प्लेट में चिकन लेकर आता है. महिला तुरंत लेग पीस उठाकर खाने लगती है. ऐसी ही सुरक्षा हमारे समाज के कुछ पुरुष महिलाओं की कर रहे हैं.

एक आदमी परेशान करे और आप आत्महत्या करने का फैसला कर लें, सरासर गलत. वो भी उस समाज में, जो हमेशा महिला विरोधी रहा है. तुम कैसे किसी को बिगाड़ सकती हो. व्यक्ति के चरित्र का निर्माण तो घर के माहौल, समाज के माहौल, संस्कारों और शिक्षा से होता है. सपना मैं तो तुम्हें एक लड़की होने के नाते उन लोगों से बेहतर मानती हूं, जो दोगले हैं. जिनमें अपनी बात कहने की हिम्मत नहीं. दोहरी जिंदगी जीते हैं. एक लड़की को आगे बढ़ने नहीं देते. उनके मुताबिक चलो तो ठीक, नहीं तो फिर तरह-तरह के सर्टिफिकेट बांटते हैं. एक तरफ तुम्हारा गाना सुनते हैं, तुम्हारे गाने पर नाचते हैं, वीडियो बनाते हैं, अश्लील इशारे भी करते हैं. तुम कौन सा किसी को घर से उठा कर लाती हो. फिर वही लोग अपनी असलियत दिखाते हैं. कहते हैं कि तुम लोगों को बिगाड़ रही हो.

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मैं तो ऐसे लोगों को भी जानती हूं, जिन्हें हरियाणवी कहलाने में शर्म आती है. तुम जो भी कर रही हो तुम्हारा हुनर है. अपना घर चलाती हो, मेहनत करती हो, किसी की रूह को तो नहीं सताती. किसी का हक़ तो नहीं मारती. बेईमानी तो नहीं करती. चोरी तो नहीं करती, मेहनत करती हो. फिर ये तो वही हरियाणा है न, जहां कलाकारों को भांड, नचनवा-नचनियां कहकर बुलाया जाता है. कहां सम्मान मिला है, आज तक कलाकारों को? फिर तुम इतनी कमजोर कैसे पड़ सकती हो? तुम्हारे आने की एक खबर भर से लाखों लोग इकट्ठे हो जाते हैं. यूपी, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, हर जगह तुम्हें लोग जानते हैं. बहुत से लोग हैं जो मानते भी हैं. तुम कुछ अलग हटकर करना चाहती थीं. लोगों का मनोरंजन करना, उन्हें खुशी देना. फिर तुमने उन लोगों से दूर जाने का फैसला कर कैसे लिया?

अब तरह-तरह की बातें सामने रही हैं, लेकिन मामले की सच्चाई तो पुलिस की निष्पक्ष जांच पर ही निर्भर करती है. लेकिन तुम जल्द से जल्द ठीक हो जाओ और अपने लिए आवाज़ उठाओ. यही ख्वाहिश है मेरी.
हिम्मत है तो बुलंद कर आवाज़ का अलम,
चुप बैठने से हल नहीं होने का मअसला
(source: hindi.pradesh18.com)
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